खोदावंदपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में डयूटी से डॉक्टर गायब, मरीजों को ऑनलाइन ईलाज मोबाईल के माध्यम से किया गया।

रिपोर्टर अभिषेक ठाकुर 
खोदावंदपुर , बेगूसराय। 
बिहार में स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने के लिए नीतीश सरकार अस्पतालों को आवश्यक संसाधनों से सुसज्जित कर रही है. डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों का बहाली की जा रही है और प्रदेश की आवाम को मुफ्त में बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने की वादा करती है. इसी कड़ी में सदर अस्पताल बेगूसराय को प्रदेश का सर्वोत्तम अस्पताल होने का खिताब भी मिला है, लेकिन बेगूसराय जिला में धरातल पर व्यवस्था सच्चाई से कोसो दूर है. इसी का एक नमूना सोमवार की सुबह सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खोदावन्दपुर में देखने को मिला, जहां अस्पताल से ऑन डियूटी से डॉक्टर गायब थे.
आखिर क्या है पूरा मामला सूत्रों के अनुसार मिला जानकारी:-
18 दिसम्बर की सुबह लगभग सात बजे मेघौल गांव के वार्ड पांच निवासी नितेश कुमार की फुआ 70 वर्षीय मंजू कुमारी सिर में चक्कर, उल्टी और दस्त से परेशान होकर इलाज के लिए सीएचसी पहुंचती है, जहां एक भी डॉक्टर डयूटी पर मौजूद नहीं थे. अस्पताल में डियूटी पर मौजूद सिर्फ दो नर्स थी, जिसमें जीएनएम बच्ची देवी और एएनएम प्रमिला कुमारी मौजूद थी. उन दोनों ने बताया कि डियूटी डॉ बरकतुल्लाह सर का है, वो नहीं हैं. मरीज का बीपी सामान्य था, लेकिन मरीज सिर के चक्कर से परेशान थी.तत्क्षण मरीज के परिजनों द्वारा डॉक्टर नहीं रहने की जानकारी मोबाइल से सिविल सर्जन को दिया, तो तत्काल उन्होंने मोबाइल पर बातचीत के दौरान ही रोग के लक्षण के आधार पर दवा की जानकारी दी और फिर उन्होंने कहा कि तत्काल आप चेरिया बरियारपुर अस्पताल जाकर वहां मौजूद डॉ अजीत कुमार से दिखवा लें, खोदावंदपुर के चिकित्सक को तो मैं देखता हूँ आप इस आशय का एक लिखित आवेदन दें. फिर क्या था पूरे खोदावंदपुर सीएचसी में हड़कंप मच गया. सीएस डॉ प्रमोद कुमार ने तत्क्षण प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार को फोन किया.और मोबाइल पर बातचीत के दौरान प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने उन्हें दलसिंहसराय में रहने की बात बतायी गयी. सीएस ने कहा मैं अभी विजिट करने के लिए आ रहा हूँ. नौ बजते बजते स्वास्थ्य कर्मियों का अस्पताल आना शुरू हो गया.
पहले डॉ बरकतुल्लाह, फिर डॉ के के झा, फिर डॉ दिलीप कुमार सब के सब अस्पताल पहुंच गए. डॉ बरकतुल्लाह ने उस महिला का इलाज किया. फिर महिला स्वस्थ होकर घर गयी. खोदावंदपुर के स्थानीय लोगों ने सीएचसी के बदतर हालात के लिए वर्तमान प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार को जिम्मेदार बताया है. उनलोगों ने बताया कि प्रभारी के ढुलमुल नीति के कारण रात में तो अस्पताल में रहते ही नहीं हैं. इतना ही नहीं मरीज को अस्पताल में उपचार न कर अन्यत्र निजी अस्पतालों के झोला छाप चिकित्सक पर ले जाकर मरीज का इलाज करते हैं. मनमाना पैसा वसूली करते हैं और यहाँ खोदावंदपुर सीएचसी में सन्नाटा पसरा रहता है. अस्पताल आने वाले रोगियों इतने बड़ा संसाधन रहने के बाद भी यहां से वैरंग लौट जाता है अथवा अपने भाग्य भरोसे रहता है. हालात यहीं रहा तो यहां कभी भी जनाक्रोश भड़क सकता है और भविष्य में किसी अप्रिय वारदात से इनकार नहीं किया जा सकता. स्थानीय लोगो ने सिविल सर्जन बेगूसराय से सीएचसी खोदावंदपुर की बदतर हालात पर कठोर निर्णय लेने का मांग किया है, ताकि यह अस्पताल जनता के विश्वास और बिहार सरकार के आशा और उम्मीद पर खड़ा उतर सकें.

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